My Hindi Poem on Librarian


पुस्तकालयाध्यक्ष

      माँ सरस्वती जी के मंदिर में होता एक पुजारी
    ज्ञानदान करके जनता में बनता सबका हितकारी ।
    इसलिये पुस्तक भण्डार बढ़ाता करने सबकी सेवा
    सही समय पर सही सलाहबन जाती है मेवा ।

     पुस्तकालय के नियमों का रखकर हमेशा ध्यान
     करता जो अपना कर्तव्य उसको मिलता सम्मान ।

भेदभाव को छोड़कर] प्रजातंत्र का मार्ग अपनाओ
नित नूतन ज्ञान से शोध कार्य में नवीनता लाओ
मालवीय जी के प्रांगड‌‌ में ज्ञान की सतत गंगा बहाओ
सूचना क्रांति के युग में] सभी को ज्ञान का मार्ग दिखाओ ।

डा. विवेकानन्द जैन
काशी हिंदू वि.वि. वाराणसी

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