Thursday, March 23, 2017

सूचना तंत्र का मायाजाल

सूचना तंत्र का मायाजाल
Side Effects of Social Media and Internet
  
हमारे ऋषि मुनियों ने जिस भारतीय संस्कृति और परम्परा को सदियों से बचा कर रखा था, आज उसे इण्टरनेट, वर्ल्ड वाइड बेव, मोबाइल, सोसल मीडिया, डीटीएच आदि ने हिला कर रख दिया। इसी पर एक टिप्पड़ी :

रामायण और महाभारत सीरियल के साथ
भारतीय घरों मे टीवी ने प्रवेश किया,
फिर आ गया केबिल और डी टी एच।
फिर धीरे से मोबाइल आया और आ गया इण्टरनेट
तेजी से फैला सोसल मीडिया और सूचना का जाल
अब बन गया है हम सभी के लिये एक बड़ा जंजाल
                                                                          
मोबाइल ने लोगों को लालच दिया, कर लो दुनिया मुट्ठी में,
फिर जिओ / 4जी आया, फ्री इण्टरनेट के साथ युवाओं को रिझाने
सूचना के अथाह समुद्र में डुबकी लगवाने !
बाजारबाद के चक्कर में, युवा हो गया दिग्भमित,
लक्ष्य को भूलकर, फंस गया
आधुनिक सूचना तंत्र के माया जाल में !
अपना कीमती समय और शक्ति दौनों गंवा बैठा 
ऑनलाइन के चक्कर में सतही ज्ञान पाया,
सही लिखना पढ़ना, बोलना भी भूल गया

मेरी एक सलाह
तकनीकि का उपयोग करें, मगर उसके गुलाम ना बनें,
अभी भी बक्त है यदि लौट सको तो !
बरना !
सिर्फ पछ्तावा रह जायेगा.....
और बीता समय
कभी बापिस नहीं आयेगा॥

डा. विवेकानंद जैन
वाराणसी 23/03/2017


Monday, March 6, 2017

Varanasi : My Pride

वाराणसी : काशी मेरी शान
Varanasi : My Pride Poem by Vivekanand Jain
धर्म ध्यान की नगरी, संस्कृति की खान
गंगा जी के घाट हैं, बनारस की शान ॥

जैनधर्म के पार्श्व-सुपार्श्व तथा चंद्रप्रभू जन्मे गंगा तीर।
श्रेयांसनाथ जी सारनाथ में हर रहे सबकी पीर ॥

कबीर तुलसी रविदास ने लिखा घाटों का गुणग़ान
सभी धर्मों में पूज्य हैं, काशी का पावन गंगा धाम॥

देव दीपावली, नाथ नथैया, बुढ़्वा मंगलचार
बनारस के घाटों पर मनते हैं सब त्यौहार ॥

माता शीतला व अन्नपूर्णा देती सबको शुभाशीष।
संकट मोचन, बाबा भोलेनाथ को नबायें अपना शीश ॥

सारनाथ में आकर बुद्ध ने किया धर्म चक्र प्रवर्तन 
दिया धर्म का ज्ञान, जिससे विश्व में हुआ परिवर्तन ॥

तुलसीदास ने लिखी यहीं रामचरितमानस की कुण्डलियां
बनारस में गूंजी रविदास की बाणी व कबीर की साखियां

अस्सी घाट से दसाश्वमेघ तक माँ गंगा की जय जय कार
हरिश्चंद्र और मणिकर्णिका से खुला है मोक्ष का द्वार ॥

धर्म, सत्य, ज्ञान की नगरी, विश्व में निराली है।
तीन लोक से न्यारी, इसीलिये काशी अविनाशी है।।

प्रभू की कृपा से जीवन में मिलता काशी वास,
जीवन का आनंद लो, बाद में खुला मोक्ष का द्वार ॥

Motivational Poem By Shri Baboo Lal Jain

तरूण चेतना
Motivational Poem By Shri Baboo Lal Jain
Digora ( Tikamgarh) M.P.
            द्वारा : श्री बाबूलाल जैन, दिगौड़ा टीकमगढ़ (म.प्र.)  
उठो उठो देश के शिक्षित सुसभ्य वीर,
छत्रसाल शिवाजी महाराणा बन जाओ तुम।
देश की लुटती हुई अस्मिता बचाने को,
वीर बजरंग बली जैसे बन धाओ तुम ॥

देवियो जागो जरा, वीर बसुधा है यह,
पाश्चात्य संस्कृति की नकल ना दिखाओ तुम ॥
रानी दुर्गावती लक्ष्मी अहिल्या बन,
भारत के गौरव की शान को बचाओ तुम

देश में अन्याय भृष्टाचार नित्य बढ़ रहा,
अपने पुरा पुरूषों की मर्यादा गंवाई है ।
मिली है स्वतंत्रता स्वच्छंदता ना बरतो तुम,
न्याय और नीति से चलने में भलाई है॥

आशा है तुम्ही से हमें, देश के उत्थान हेतु,
सत्य अहिंसा बाले शोलों पर चलते हैं।
उनके सुपथ में ना बाधक बने कोई,
तोपों के गोले भी, ओले बन गलते हैं।

उठो उठो देश के नवयुवक वीर बंधु,
सत्य अहिंसा के पथ पर बढ़ जाओ तुम,
कुचल दो अन्याय भृष्टाचार को मिटाओ तुम,

विश्व के कल्याण में जीवन चढ़ाओ तुम॥