Tuesday, November 29, 2016

Poem on Dr. H S Gour University Sagar

सागर विश्व विद्यालय

गौर बब्बा ने बनाया था जो सागर में विश्वविद्यालय
आज बन गया मध्यप्रदेश का केंद्रीय विश्वविद्यालय ॥

ई में सबरे खूबई पढ़रय, दूर दूर सें आ कें पढ़रय
अफसर बनकें आगे बढ़रय, खूबई नाम कमा रय।
गौर बब्बा के गुन गारय भैया, हम सब गौर बब्बा के गुन गारय।

सागर की पहाड़ियों पे फैलो, जो भव्य विश्वविद्यालय
बीचों बीच बसो है ई के, विशाल नेहरू पुस्तकालय
अनेकों हैं विभाग यहां, नये नये विषयों को ज्ञान ले लो
छात्रावास में रहकर खाओ पियो, और मस्ती से पढ़ लो

गौर साहब ने जीवन भर किया संघर्ष, मगर हम सब खों सुख दे गये
जीवन भर की पूंजी अपनी सागर विश्वविद्यालय को दान में दे गये।।

गौर साहब के पुनीत कार्य की विश्व में पताका फहराओ,
देश की सेवा करके, सागर का मान वढ़ाओ, गौर साहब के गुण गाओ।

विवेकानंद जैन, वाराणसी

गौर जयंति 2016

वाराणसी में मनाई गई डा. हरि सिंंह गौर की जयंति

सभी ने श्रद्धांजली अर्पित की तथा सागर वि.वि. के बीते दिनों को याद किया। बार्ता के दौरान मांग उठी कि डा. गौर को भारत रत्न मिलना चाहिये।
इसी अवसर पर मेरे द्वारा रचित कविता :

जीवन भर की कमाई देकर बना दिया, सागर में शिक्षालय,
  बुंदेलखण्ड का गौरव है यह, केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर ॥
1946 में स्वतंत्रता से पूर्व ही ज्ञान की ज्योति जलाई,
  बुंदेलखण्ड के विकास में इससे नयी क्रांति आई॥
शिक्षा विद, कानून वेत्ता, बहुआयामी व्यक्तित्व था उनका,
  भारतीयों के साथ साथ अंग्रेज भी मानते थे लोहा जिनका॥
दिल्ली नागपुर सागर विवि में कुलपति पद को सुशोभित किया
  राजनीतिक सामाजिक जीवन में भी सुचिता सेवा को महत्व दिया॥
सागर के पुराछात्रों व नागरिकों ने जन्म जयंति मनाई

  गौर बब्बा के जन्म दिन पर सभी को ढे‌र सारी बधाई ॥