शिक्षा की नींव
नींव जिसकी खोखली हो, भवन कैसे खड़ा होगा।
जड़ नहीं मजबूत जिसकी, बृक्ष कैसे बड़ा होगा।
पांच वर्षों तक नहीं
जिस छात्र की नहीं कोई परीक्षा
नाम केवल दर्ज हो, उत्तीर्ण होगा पांच कक्षा॥
आठवीं तक भी यही
विधि, शीघ्र करने जा रहे हैं
देश को उत्थान में
या गर्त में ले जा रहे हो?
राष्ट्र के ओ कर्ण धारो, ज्ञान में मत धूल झोंको।
आंकड़ों के खेल में मत, छात्र का सर्वस्व फूंको॥
निकल पायेगा भला
क्या, कोई वैज्ञानिक सितारा।
करे आविष्कर कुछ भी, लग रहा तुमको इशारा?
निजी बच्चों के लिये
तो, आंग्ल माध्यम पाठ्शाला॥
दीन हीन कृषक जनों
के बालकों को नृत्य शाला॥
चित्र शाला, गीतशाला से नहीं कुछ काम होगा।
अगर ऐसा ही रहा तो, देश फिर बदनाम होगा।
ज्ञान के इस क्षेत्र
में मत कीजिये कुछ ढील ढाल
ठोस होगी नीव तो यह
देश बन जाये खुशहाल ॥
(बाबू
लाल जैन ‘सुधेश’: व्यक्तिगत डायरी से
साभार, 12/08/2004)
Keywords : School Education System in India