Thursday, December 19, 2013
Tuesday, December 3, 2013
भारत को रहने दो अखण्ड
भारत को रहने दो अखण्ड
सैकड़ों राज्य राजाओं के, सब मिटा बनाये बड़े प्रांत।
सब रहें देश बासी हिल मिल, नहिं रहे कहीं कोई अशांत॥
नेहरू पटेल का सोच यही, साकार किया था जो सपना।
विघटन करने को लोग खड़े, भरने को पेट केवल अपना॥
उठ रही मांग पूर्वांचल की, कुछ चाह रहे बुंदेल ख़ण्ड।
मिथिलांचल बोडो लेण्ड आदि, कुछ चाहेंगे बघेल ख़ण्ड॥
तेलंगाना का शोर मचा, बाहन
फूंके दे लगा आग।
छ्ह सौ राजा के राज्य
पुन: दे दो गायें ए नया राग।
आसाम प्रांत को तो देखो, कर दिया सात भागों में बिभक्त।
भारत का यह पुर्वी हिस्सा, हो गया आज कितना अशक्त॥
यह मधुकोड़ा सम मधु
कीड़े, जो लूट रहे देश का धन पराग।
कर रहे विदेशों में धन
संचय, लग जाये यहां पर भले आग ॥
कुर्सी की केवल पकड़ इन्हें, सब चाह रहे मंत्री बनना।
घर भर जाये धन धान्य से, फिर नहीं इन्हें कुछ भी
कहना ॥
इन नेताओं से रखो बचा, मत
करो देश के खण्ड खण्ड ।
यह भारत बन जाये
प्रचण्ड, भारत को रहने दो अखण्ड ॥
रचयिता : श्री बाबू
लाल जैन “सुधेश”
दिगौड़ा जिला टीकमगढ़
(मध्य प्रदेश)
Sunday, March 3, 2013
काशी हिन्दू विश्व विद्यालय
महामना की अनुपम
रचना: काशी हिन्दू विश्व विद्यालय
मानवता के घाव भरता - चिकित्सा विज्ञान संस्थान
लोगों की भूख मिटाता - कृषि विज्ञान संस्थानपर्यावरण को समर्पित - पर्यावरण और जैव विकास संस्थान
देश की प्रगति में सहायक - प्रौद्योगिकी संस्थान
धर्म संस्कृति का रक्षक: काशी हिन्दू
वि.वि.
सर्व धर्म समभाव का पोशक: काशी हिन्दू वि.वि.मानवीय मूल्यों को समर्पित: हमारा काशी हिन्दू वि.वि.
भारत माँ की शान बढ़ाता देश को सम्मान दिलाता
ऐसे विश्व विद्यालय के निर्माता
मालवीय जी को मेरा नमन
अभिनन्दन ।।
विवेकानन्द जैन
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विवेकानंद जैन वाराणसी
Wednesday, January 30, 2013
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